मप्र में बनेंगे आक्सीजन पार्क
- सांस लेने में मददगार बनेगा बांस
- बांसों की विभिन्न किस्मों को रौपा जाएगा
- शुरूआती भोपाल के राष्ट्रीय मानव संग्रहालय से
Key word : Oxygen Park, Bhopal, Bamboo Mission, Madhya Pradesh, National Museum of Man, Baans
डॉ. अनिल सिरवैयां, भोपाल
9424455625
अपनी अनेक खूबियों और अपने वानस्पतिक गुणों के कारण बड़े काम का वृक्ष ‘बांस’ अब देश में मध्यप्रदेश को नई पहचान देगा। देश में पहली बार में ‘आॅक्सीजन पार्क’ बनाने की शुरूआत मप्र से होने जा रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर भोपाल के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में तीन दिन पहले विश्व पर्यावरण दिवस पर आॅक्सीजन पार्क बनाने के लिए बांस की विभिन्न किस्मों के पौधे रोपे गए हैं। इसके बाद पहले भोपाल, फिर इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में ऐसे आॅक्सीजन पार्क बनाए जाएंगे। इन चार शहरों के बाद धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में ऐसे आॅक्सीजन पार्क बनाए जाने की कार्ययोजना है। इस पार्क की खूबियों को समझने को बाद राज्य सरकार ने पहले चरण में प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों में आक्सीजन पार्क के लिए जमीन चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं। आक्सीजन पार्क विकसित करने का काम मप्र राज्य बांस मिशन करेगा।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आक्सीजन पार्क के लिए बांस के पौधे रोपे गए। |
विभिन्न प्रजाति के बांसों का एक ही स्थान पर प्लांटेशन किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों के लिए यह आॅक्सीजन पार्क का काम करेंगे। अनेक देशों में आॅक्सीजन पार्क का कॉन्सेप्ट काफी लोकप्रिय और प्रदूषण नियंत्रण में काफी मददगार तथा सार्थक है। आॅक्सीजन पार्क के लिए बांस सबसे उपयोगी है, क्योंकि बांस अन्य प्रजातियों की तुलना में 35 प्रतिशत अधिक कार्बनडाई आक्साईड अवशोषित करता है तथा 35 प्रतिशत से ज्यादा आक्सीजन वायुमंडल में उत्सर्जित करता है। भारत में अब तक इस कॉन्सेप्ट पर अमल नहीं हुआ। मप्र से इसकी शुरूआत होने जा रही है।
बांस शिल्पियों को भी मिलेगी मदद
आक्सीजन पार्क में लगाए जाने वाले बांस के पौधे के वृक्ष बनने के बाद इनकी कटाई और फिर से नए पौधे रौपे जाएंगे। राज्य बांस मिशन के अनुसार इन बांस क्षेत्रों से प्राप्त बांस से शिल्पकारों और बांस का काम करने वाले परिवारों को जरूरत के मुताबिक बांस मिल पाएंगे। भोपाल में लगभग 600 परिवार बांस का काम करते हैं और यही इनकी आजीविका का साधन है। इन परिवारों की जितनी मांग है, उससे केवल 10 से 20 प्रतिशत बांस ही इन्हें मिल पाता है। चूंकि बांस के इन भिर्रों (रोपण क्षेत्र) से लगातार बांस प्राप्त होते रहेंगे, इसलिए इनके एक स्थाई बांस स्रोत संसाधन के रूप में यह आॅक्सीजन पार्क काम आएंगे।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल |
सीवेज वाटर में लगेंगे
आॅक्सीजन पार्क में बांस रोपण के लिए सीवेज वाटर का उपयोग किया जाएगा। भोपाल में सीवेज वाटर से सब्जियां उगाने पर एनजीटी ने प्रतिबंध लगा दिया है। राज्य बांस मिशन ने आक्सीजन पार्क के लिए ऐसे स्थानों को सबसे बेहतर विकल्प माना है। इसके अलावा ऐसे किसानों और भूमि स्वामियों को सब्जियों के स्थान पर बांस के लिए रोपण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
बांस : प्राकृतिक गुण
बांस पृथ्वी पर सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रजाति है। यह हर 24 घंटे में 2 से 3 इंच बढ़ जाता है।
बांस दूसरे किसी पौधे से 33 प्रतिशत अधिक कार्बन डाय आक्साइड अवशोषित करता है और 35 प्रतिशत से अधिक अवशोषित करता है।
बांस सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को रोकता है। सूर्य के ऊष्मा प्रभाव को कम करता है।
बांस के पौधे की जड़ें भूमि एवं जल से धातुओं को अवशोषित कर प्रदूषण नियंत्रण करती हैं।
बांस के पौधे को वृद्धि के लिए किसी रासायनिक कीटनाशक या उर्वरक की जरूरत नहीं है।
विश्व में बांस की लगभग 1500 प्रजातियां हैं और इनके लगभग दो हजार उपयोग हैं।
भारत में बांस की 137 प्रजातियां पार्इं जाती हैं।
मप्र में बांस की दो प्रजातियां और 10 रोपित प्रजातियां उपलब्ध हैं।
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हम मप्र में आक्सीजन पार्क बनाने जा रहे हैं। इनमें बांस की विभिन्न किस्मों को रोपा जाएगा। बांस ही एक ऐसा पौधा है जो अन्य प्रजातियों से अधिक कार्बन-डाई-आक्साइड अवशोषित करता है और इनसे अधिक आक्सीजन उत्सर्जित करता है। फिलहाल भोपाल के मानव संग्रहालय से आक्सीजन पार्क की शुरूआत की गई है। भोपाल में बहुत जल्द ही अनेक स्थानों पर आक्सीजन पार्क विकसित हो जाएंगे। इसके अन्य प्रमुख शहरों में यह काम किया जाएगा। इससे पर्यावरण संरक्षण तो होगा ही बांस की मांग और आपूर्ति का अंतर भी कम होगा।
- डॉ. एके भट्टाचार्य, मिशन संचालकमप्र राज्य बांस मिशन
- Dr. A.K. Bhattacharya, Mission Director
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